Shloka 10 & 11 Chapter 1 GITA FOR LAYMAN (Yatra Tatra Sarvatra)

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Ashok Yadav
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Published on 18 Nov 2020 / In Educational

दुर्योधन गुरु द्रोणाचार्य से बता रहा है । उन योद्धाओं के बारे में बताकर दुर्योधन बोला :-
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् ।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ।।१०।।
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि ।।११।।
हमारी यह सेना, जिसकी अभिरक्षा भीष्म पितामह कर रहे हैं, जीती नहीं जा सकती है। जबकि, भीम की अभिरक्षा में उनकी जो सेना है, उसको जीतना आसान है। इसलिए आप सभी लोग अपने अपने मोर्चों पर डटे रहें और सभी तरफ से भीष्म पितामह की ही रक्षा करें ।
यहाँ पर दुर्योधन ने भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य आदि कौरव योद्धाओं के बल पर विश्वास जताया है । वह सोचता है कि भीष्म पितामह अत्यन्त अनुभवी सेनानायक हैं और उनके सेनापतित्व में उसकी सशस्त्र सेनाओं की शक्ति बहुत ज्यादा है । महाभारत के उद्योग पर्व के अध्याय-19 में सेनाओं की संख्या के बारे में श्लोक १३ और २७ में बताया गया है :- ओं
इतश्चेतश्च पाण्डूनां समाजग्मुर्महात्मनाम्।
अक्षौहिण्यस्तु सप्तैता विविधध्वजसंकुलाः ।।१३।।
एवमेकादशावृत्ताः सेना दुर्योधनस्य ताः ।
युयुत्समानाः कौन्तेयान् नानाध्व्जसमाकुलाः ।।२७।।
पांडवों के पास इधर उधर से सात अक्षौहिणी सेनाएँ एकत्र हुई थीं जो नाना प्रकार की ध्वजा पताकाओं से व्याप्त दिखाई देती थीं । दुर्योधन के पास सब मिलाकर ग्यारह अक्षौहिणी सेनाएँ एकत्र हो गईं जो भांति भांति की ध्वजा पताकाओं से सुशोभित थीं और कुंती के पुत्रों से युद्ध करने को उत्साहित थीं ।
कौरव सेना 11 अक्षौहिणी थी , जिसमें २ लाख ४० हजार ५७० रथ, २ लाख ४० हजार ५७० हाथी, ७ लाख २१ हजार ७१० घोड़े, १२ लाख ०२ हजार ८५० पैदल सिपाही, इस तरह से कुल २४ लाख ०५ हजार ७०० योद्धा थे । यह एक बड़ी सेना थी और कोई भी इस सेना की शक्ति पर भरोसा कर सकता था । इस सेना के नायक कृपाचार्य, द्रोणाचार्य, शल्य, जयद्रथ, सुदक्षिण, कृत वर्मा, अश्वत्थामा, कर्ण, भूरिश्रवा, शकुनि और बाह्लीक जैसे अनुभवी और युद्ध कुशल योद्धा थे । अगर दुर्योधन को इस सेना की जीत पर भरोसा था तो उचित ही था ।
पाण्डव सेना 7 अक्षौहिणी थी , जिसमें १ लाख ५३ हजार ०९० रथ, १ लाख ५३ हजार ०९० हाथी, ४ लाख ४९ हजार २७० घोड़े, 7 लाख ६५ हजार ४५० पैदल सिपाही, इस तरह से कुल १५ लाख ३० हजार ९०० योद्धा थे । कौरव सेना के मुकाबले यह एक छोटी सेना थी । पांडव सेना के नायक द्रुपद, विराट, सात्यकि, धृष्टद्युम्न, चेकितान, शिखण्डी और भीमसेन जैसे कम अनुभवी योद्धा थे। पाण्डवों की सेना की सुरक्षा भी एक कम अनुभवी योद्धा भीम के हाथ में थी । युद्ध कौशल में भीम और भीष्म की कोई बराबरी ही नहीं थी ।
दुर्योधन को भरोसा था कि भीष्म पितामह के रहते उसकी जीत निश्चित है क्योंकि भीष्म एक उत्कृष्ट कोटि के सेनापति हैं । इसीलिए उसने गुरु द्रोणाचार्य से जोर देकर कहा कि वे सभी लोग अपने अपने मोर्चों पर डटे रहें और सभी ओर से भीष्म पितामह की ही रक्षा करें ।
अब महाभारत युद्ध के बारे में एक छोटी सी चर्चा कर लेते हैं । यह पूरा युद्ध व्यूह रचना से लड़ा गया और १८ दिन तक चला । चक्रव्यूह में कौरव योद्धाओं द्वारा युद्ध नीति के विरुद्ध जाकर अभिमन्यु की हत्या कर देने की वजह से चक्रव्यूह ज्यादा चर्चित है, लेकिन 18 दिन के युद्ध में एक से एक जटिल 36 व्यूह बनाए गए। यानी हर दिन दो व्यूह, 18 कौरवों ने और 18 ही पांडवों ने बनाए।

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CONCEPT & RESEARCH ASHOK KUMAR YADAV
SCRIPT & TECHNICAL SUPPORT ASHOK KUMAR YADAV
VOICE OVER - SANSKRIT SHLOKA NISHTHA YADAV
VOICE OVER - HINDI VERSION SARASWATI DEVI

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