Shlok 4, 5 & 6 Chapter 1 Gita for Layman (Yatra Tatra Sarvatra)

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Ashok Yadav
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Published on 12 Nov 2020 / In Educational

दुर्योधन आचार्य द्रोण से पांडव सेना के वीरों के नाम बताता है :-
“इस सेना में बड़े बड़े धनुषों वाले शूरवीर हैं, जो युद्ध में भीम और अर्जुन के बराबरी के हैं। जैसे कि, सात्यकि और विराट तथा महारथी द्रुपद। धृष्टकेतु, चेकितान और शक्तिशाली काशिराज तथा पुरुजित, कुन्तिभोज और नरश्रेष्ठ शैव्य। और महाविक्रमी युधामन्यु तथा बलशाली उत्तमौजा। सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पांचों पुत्र, सभी महारथी ही हैं।“
सात्यकि, सात्यक का पुत्र और शिनि का पौत्र था। महाभारत युद्ध के बारहवें दिन सात्यकि ने महारथी कर्ण को हरा दिया था। तब कई कुरु योद्धाओं जैसे द्रोणाचार्य, कृपाचार्य आदि ने मिलकर कर्ण की रक्षा की और सात्यकि से उसकी जान बचाई। महाभारत युद्ध के पन्द्रहवें दिन सात्यकि ने द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और कर्ण सभी को हरा दिया।
द्रुपद पांचाल देश के राजा और पांडवों के ससुर थे। महाभारत युद्ध के पन्द्रहवें दिन द्रुपद को द्रोणाचार्य ने मार दिया था। धृष्टकेतु शिशुपाल का पुत्र था और चेदि देश क राजा था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में उसने बहुत से योद्धाओं से युद्ध किया और वृहदवाहन का वध किया। धृष्टकेतु का वध चौदहवें दिन के युद्ध में द्रोणाचार्य के हाथों हुआ। चेकितान राजा धृष्टकेतु का पुत्र था। महाभारत युद्ध के पन्द्रहवें दिन उसने नकुल को द्रोणाचार्य के चंगुल से बचाया था। महाभारत युद्ध के आखिरी दिन दुर्योधन ने चेकितान का वध कर दिया था।
काशिराज के तीन अति रूपवती पुत्रियां थीं - अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका।भीष्म ने अपने छोटे और बीमार भाई विचित्रवीर्य से विवाह करवाने के लिए इन तीनों कन्याओं का जबरन अपहरण कर लिया था। अम्बा ने भीष्म से कहा कि बह शाल्व नरेश से प्रेम करती है और उसी से विवाह करना चाहती है। शाल्व नरेश ने अम्बिका से विवाह करने से इनकार कर दिया I अम्बा अपमान और दुःख से जल रही थी। भीष्म की मृत्यु के लिए उसने घोर तपस्या की। कालांतर में वह रजा द्रुपद के घर शिखंडी बनकर पैदा हुई। वह कन्या के रूप में पैदा हुई थी परन्तु बाद में पुरुष बन गयी। शिखंडी ही भीष्म की मृत्यु का कारन बना। अपने और अपनी प्रिय पुत्री अम्बा की मृत्यु और अपमान का बदला लेने के लिए ही काशिराज ने महाभारत युद्ध में पांडवों का साथ दिया।
पुरुजित राजा कुन्तिभोज का पुत्र एवं कुंती का भाई था। वह पांडवों का मामा था। महाभारत युद्ध के चौदहवें दिन पुरुजित को द्रोणाचार्य ने मार दिया था । कुन्तिभोज कुंती राज्य के राजा थे। वे शूरसेन के भाई थे। पृथा और वसुदेव, शूरसेन की संतान थे। शूरसेन ने अपने संतानहीन भाई को अपनी पुत्री पृथा गोद दे दी। यही पृथा, कुंती के नाम से मशहूर हुई।
शैव्य शिवि देश के राजा एवं राजा उशीनर के पौत्र थे। उनकी पुत्री देविका का विवाह युधिष्ठिर से हुआ था। युधामन्यु पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र थे, जो महाभारत में पांडवों की ओर से लडे थे। ये परम पराक्रमी एवं धनुर्धर थे। कहते हैं कि इनका वास्तविक नाम कुछ और ही था पर अपने शत्रुओं से क्रोधातुर होकर युद्ध करने से इनका यह नाम पड़ गया। उत्तमौजा भी पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र थे, जो महाभारत में पांडवों की ओर से लडे थे। ये परम पराक्रमी एवं धनुर्धर थे।
अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र था। उसे चंद्र देवता का पुत्र भी माना जाता है। अभिमन्यु का बचपन अपनी ननिहाल द्वारका में ही बीता। उसका विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। अभिमन्यु एक असाधारण योद्धा था। उसने कौरव पक्ष की सबसे कठिन सैनिक व्यूह रचना, जिसे चक्रव्यूह कहा जाता था, के सात में से छह द्वार भेद दिए थे। कहते हैं कि अभिमन्यु ने अपनी माता की कोख में रहते ही अर्जुन के मुख से चक्रव्यूह का रहस्य जान लिया था। पर सुभद्रा के बीच में सो जाने से वह व्यूह से बाहर आने की विधि नहीं सुन पाया। व्यूह के अंतिम चरण में कौरव पक्ष के सभी महारथी युद्ध के मानदंडों को भुलाकर उस बालक पर टूट पड़े, जिसके कारण उसने वीरगति प्राप्त की। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित, जिसका जन्म अभिमन्यु के मरने के बाद हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे जिन्होंने युद्ध की समाप्ति के पश्चात पांडव वंश को आगे बढ़ाया।
द्रौपदी के पांच पुत्र थे। द्रौपदी स्वयंवर से द्रौपदी को लेकर पांचों पांडव माता कुंती के पास आए। अर्जुन माँ से बोले कि माँ , देखो मैं क्या लाया हूँ ? कुंती ने बिना देखे और बिना जाने कहा कि पांचो भाई आपस में बाँट लो। इस तरह से द्रोपदी पांच पतियों की पत्नी बनीं । उनके पांच पुत्र हुए। महाभारत का युद्ध समाप्त हो जाने पर अश्वत्थामा ने एक रात द्रौपदी के पांचों पुत्रों के सिर काट डाले जब वे गहरी नींद में सो रहे थे। अश्वत्थामा के इस कुकर्म की सभी ने निंदा की। यहां तक कि दुर्योधन तक को भी यह अच्छा नहीं लगा।

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